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यह वीडियो समझ आ गया तो भ्रष्ट और बदमाश पुलिसकर्मी आपसे डरने लगेंगे

by Dilip Soni
12 May, 2020
in News
Goverdhan Singh Legal Mind Video

Jaipur News: प्रसिद्ध RTI कार्यकर्ता और अब वकील गोवर्धन सिंह इन दिनों बेईमान पुलिस वालों से कैसे लड़ा जा सकता है इस बारें में जानकारी दे रहे है. आज के इस विडियो में गोवर्धन सिंह सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सूचना लेकर किस तरह बेईमान पुलिसकर्मी को जेल भेजें इसकी जानकारी दे रहे है.

गोवर्धन सिंह का मानना है कि कोई भी जागरूक नागरिक किसी बेईमान IPS अफसर या बेईमान पुलिस अधीक्षक(SP) को गिरफ्तार करवाकर सज़ा करवा सकता है.

गोवर्धन सिंह बताते है कि सर्वप्रथम आपको यह देखना होगा कि किन-किन अनुसंधान पत्रावलियों में उक्त बेईमान IPS अफसर ने “अनुसंधान अधिकारी” के रूप में स्वयं ने अनुसंधान किया है. तत्पश्चात यह भी देखना होगा कि उक्त बेईमान IPS अफसर ने किन-किन अनुसंधान पत्रावलियों में न्यायालय के समक्ष “चालान अथवा नकारात्मक FR” पेश करने के लिए स्वीकृतियाँ दी हैं. आप ऐसी पत्रावलियों को सम्बंधित न्यायालय में जाकर अवलोकन करके चिन्हित कर लें जिनमें गड़बड़ियाँ, दूषित अनुसंधान अथवा “अनुसंधान को विनियमित करने वाली विधि का उल्लंघन” हुआ है और ऐसी पत्रावलियों की फोटो प्रति अथवा प्रमाणित प्रति प्राप्त कर लेवें.

इसके बाद नीचे दिए इस वीडियो को कई बार देखकर समझ लेवें.

इस वीडियो को समझ लेने पर आप को ध्यान में आएगा कि कानून में बताए गए तरीके से अनुसंधान नहीं करना, कितना बड़ा गम्भीर और संज्ञेय अपराध है। किसी भी FIR में चालान अथवा नकारात्मक एफआर का नतीजा, न्यायालय में पेश करने की स्वीकृति देने वाला पुलिस अधीक्षक(SP) भी, उतना ही अपराधी होगा जितना अनुसंधान करने वाला “अनुसंधान अधिकारी” होता है.

पुलिस अधीक्षक(SP) के सामने कोई भी अनुसंधान पत्रावली जब अनुसंधान होकर आती है तो उसे अपना “लीगल माइंड” अप्लाई कर, निर्णय करना होता है यानि गलत अनुसंधान होकर आई पत्रावली में सबसे पहले अनुसंधान अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए तथा किसी अन्य अनुसंधान अधिकारी से सही और कानून सम्मत अनुसंधान करवाना चाहिए.

यदि पुलिस अधीक्षक(SP) उक्त प्रक्रिया अपनाए बिना न्यायालय के समक्ष नतीजा पेश करने का आदेश देता है तो ऐसा पुलिस अधीक्षक(SP), धारा 166A(B) IPC के तहत संज्ञेय अपराध कारित करता है.

कई बार अनुसंधान पत्रावलियाँ एक जिले से बदलकर दूसरे जिलों में भेज दी जाती हैं ऐसी अवस्था में न्यायालय में नतीजा पेश करने के लिए आदेश संबंधित पुलिस महानिरीक्षक(IG) अथवा पुलिस आयुक्त(राजस्थान के जयपुर और जोधपुर में कमिश्नरेट प्रणाली) द्वारा दिए जाते हैं.

ऐसी परिस्थितियों में सम्बंधित अनुसंधान अधिकारी के साथ-साथ, आदेश देने वाले पुलिस महानिरीक्षक(IG) या पुलिस कमिश्नर इस अपराध के लिए दोषी होंगे.

एडवोकेट गोवर्धन सिंह राजस्थान उच्च न्यायालय,जयपुर

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Goverdhan Singh Legal Mind RTI Activistसरकारी कर्मचारियों का उपस्थिति रजिस्टर सार्वजनिक दस्तावेज – केन्द्रीय सूचना आयोग
Tags: Goverdhan Singh RTIRTI
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