Jaisalmer News: पोकरण फिल्ड फायरिंग रेंज (Pokhran field firing range) में भारत का मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन मार्क-1 अल्फा (Arjun Mark-1 Alpha) रेंज में दहाड़ रहा है.
अर्जुन मार्क-1 अल्फा (Arjun Mark-1 Alpha) की मारक क्षमता को पोकरण फिल्ड फायरिंग रेंज (Pokhran field firing range) में परखा जा रहा है.
कोणार्क कोर जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल पी एस मिन्हास, बैटल एक्स डिवीजन जीओसी मेजर जनरल अजीत सिंह गहलोत और
अन्य वरिष्ठ अधिकारी टैंक की फायरिंग क्षमता को देखने के लिए पोकरण फिल्ड फायरिंग रेंज (Pokhran field firing range) में मौजूद रहे.
सैन्य अधिकारीयों ने रेगितानी क्षेत्र में अर्जुन मार्क-1 (Arjun Mark-1 Alpha) की विभिन्न मापदंडों में क्षमताओं की जांच की, टैंक के नए उन्नत संस्करण में, फायरिंग सिस्टम को मिसाइलों के साथ अपग्रेड किया गया है.
अर्जुन एक तीसरी पीढ़ी का मुख्य युद्धक टैंक है। इसे भारतीय सेना के लिए भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया है।
अर्जुन टैंक का नाम महाभारत के पात्र अर्जुन के नाम पर रखा गया है
अर्जुन टैंक में 120 मिमी में एक मेन राइफल्ड गन है जिसमें भारत में बने आर्मर-पेअरसिंग फिन-स्टेबलाइज़्ड डिस्कार्डिंग-सेबट एमुनीशन का प्रयोग किया जाता है।
इसमें PKT 7.62 मिमी कोएक्सिल मशीन गन और NSVT 12.7 मिमी मशीन गन भी है। यह 1,400 हार्सपावर के एक एमटीयू बहु ईंधन डीजल इंजन द्वारा संचालित है।
इसकी अधिकतम गति 67 किमी / घंटा (42 मील प्रति घंटा) और क्रॉस-कंट्री में 40 किमी / घंटा (25 मील प्रति घंटा) है।
कमांडर, गनर, लोडर और चालक का एक चार सदस्यीय चालक दल इसे चलाता है।
ऑटोमैटिक फायर डिटेक्शन और सप्रेशन और NBC प्रोटेक्शन सिस्टम्स इसमें शामिल किये गए हैं। नए कंचन आर्मर द्वारा ऑल-राउंड एंटी-टैंक वॉरहेड प्रोटेक्शन को और अधिक बढ़ाया गया है।
इस आर्मर का थर्ड जनरेशन टैंक्स के आर्मर से अधिक प्रभावशाली होने का दावा भी किया गया है।
बाद में, देरी और 1990 के दशक से 2000 के दशक तक इसके विकास में अन्य समस्याओं के कारण आर्मी ने रूस से टी-90 टैंकों को खरीदने का आदेश दिया ताकि उन आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके जिनकी अर्जुन से पूरा करने के लिए उम्मीद की गई थी।
मार्च 2010 में, अर्जुन के तुलनात्मक परीक्षणों के लिए इसे टी -90 के खिलाफ खड़ा किया और इसने अच्छी तरह से प्रदर्शन किया।
सेना ने 17 मई 2010 को 124 अर्जुन एमके 1 टैंक और 10 अगस्त 2010 को अतिरिक्त 124 अर्जुन एमके 2 टैंकों का ऑर्डर दिया।
अर्जुन द्वारा 2004 में भारतीय सेना के साथ सेवा में प्रवेश किया गया। टैंक को पहले भारतीय सेना के आर्मर्ड कोर्स के 43 आर्मर्ड रेजीमेंट में शामिल किया गया, जबकि 12 मार्च 2011 को 75 आर्मर्ड रेजिमेंट में भी इसे शामिल किया गया।
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