Shimla: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने स्थानांतरण (Transfer) से जुड़े एक मामले में अदालती प्रक्रिया का दुरुपयोग (Misuse of judicial process) करने पर प्रार्थी अध्यापिका (schoolmistress) को 50 हजार रुपये की जुर्माना लगाया।
प्रार्थी (Teacher) को चार सप्ताह में हाईकोर्ट की एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन में राशि जमा करने के आदेश जारी किए हैं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने अर्चना राणा की याचिका खारिज करते हुए कहा कि शिक्षक नैतिकता और अनुशासन की नींव रखते हैं।
ऐसी गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले ही कोताही बरतें तो सभी अपेक्षाएं नष्ट होना तय है। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी को 11 दिसंबर को उसके मौखिक अनुरोध पर राजकीय हाई स्कूल द्रमण से हाई स्कूल जोल में समायोजित किया था। हाई स्कूल जोल के लिए उसे 14 दिसंबर को रिलीव कर दिया गया। प्रार्थी के अनुसार उसने उसी दिन जोल स्कूल में उपस्थिति दे दी। हाई स्कूल जोल, प्रिंसिपल सीनियर सेकेंडरी स्कूल भाली जिला कांगड़ा के नियंत्रण में है।
सरकार के जवाब के अनुसार जब प्रार्थी जोल स्कूल में ज्वाइनिंग के लिए गईं तो उस समय प्रिंसिपल, उप निदेशक उच्च शिक्षा कांगड़ा के कार्यालय में ड्यूटी पर थे। प्रार्थी ने अपने पति के साथ परिसर में किसी व्यक्ति की अनुमति के बिना प्रवेश किया। इसके बाद प्रार्थी ने आधिकारिक टेबल लॉकर खोला और शिक्षक उपस्थिति रजिस्टर में अपनी उपस्थिति खुद चिह्नित की। इसी उपस्थिति रिपोर्ट के आधार पर प्राथी ने जोल स्कूल में सेवा जारी रखने के आग्रह को लेकर हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर की।
सरकार के जवाब के अनुसार 14 दिसंबर, 2020 को सक्षम अधिकारी के कार्यालय से जोगिंदर सिंह टीजीटी को जोल स्कूल में समायोजित किया गया। 70 फीसदी शारीरिक रूप से विकलांग जोगिंदर सिंह को हाई स्कूल घुंड जिला शिमला से प्राथी के स्थान पर स्थानांतरित किया था। सुनवाई के दौरान प्रार्थी अपने पति के साथ हाईकोर्ट में उपस्थित हुई और स्वीकारा कि उसने उपस्थिति रिपोर्ट स्वयं बनाई थी और उसके पति ने उसका नोटिंग भाग बनाया था। कोर्ट ने कहा कि प्रार्थी और उसके पति का आचरण शिक्षक के तौर पर खेदपूर्ण है।
इसलिए दोनों पति-पत्नी शिक्षक एक बड़े कदाचार के लिए आरोपपत्र के लायक हैं। कोर्ट ने कहा कि प्रार्थी अदालत में स्वच्छ इरादे से नहीं आई है। अनुचित लाभ हासिल करने का झूठा दावा किया है और न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया। इसलिए कोर्ट ने इस टिप्पणी को प्रार्थी और उसके पति की गोपनीय रिपोर्ट में दर्ज करने के आदेश भी दिए। शिक्षा विभाग को प्रार्थी और उसके पति के खिलाफ विभागीय जांच अमल में लाने के आदेश भी दिए। कदाचार से जुड़े इस मामले की जांच 30, सितंबर तक पूरी करने के आदेश जारी किए हैं। अनुपालना के लिए मामले पर सुनवाई 5 अक्तूूबर को रखी गई है।
News Source: Amar Ujala
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