बरकतुल्लाह खान (Barkatullah Khan) राजस्थान के इकलौते मुस्लिम मुख्यमंत्री (Rajasthan’s First Muslim Cheif Minister) रहे है। 25 अगस्त, 1920 में जोधपुर में जन्में बरकतुल्लाह खान की 11 अक्टूबर 1973 को हार्ट अटैक से मौत हो गई थी।
अलवर जिले की तिजारा विधानसभा से कांग्रेस के विधायक रहे बरकतुल्लाह खान 9 जुलाई 1971 से 11 अक्टूबर 1973 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे है।
इंदिरा को बरकतुल्लाह भाभी कहते थे क्योंकि वो फिरोज़ गांधी के दोस्त थे। 25 अगस्त, 1920 को बरकतुल्लाह खान जोधपुर के एक छोटे कारोबारी परिवार में पैदा हुए। पढ़ाई के वास्ते बरकत लखनऊ गए। यहीं उनकी फिरोज़ गांधी से दोस्ती हो गई।

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इंदिरा भाभी और फिरोज भैया ने ऐसे चमकायी बरकतुल्लाह खान की किस्मत
30 मार्च, 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर ‘वृहत्तर राजस्थान संघ’ बना था। यही राजस्थान की स्थापना का दिन माना जाता है।
1949 में राजस्थान बना और लोकप्रिय सरकारें खत्म हो गईं। ऐसे में नेतागिरी में कदम रख चुके बरकत जोधपुर की स्थानीय राजनीति में सक्रिय हुए। नगर परिषद अध्यक्ष बने। फिर हाई जंप लगाई।
उधर फिरोज अब सिर्फ एक युवा कांग्रेसी नेता भर नहीं थे। 1942 में इंदिरा गांधी से शादी के बाद उनका कद बढ़ गया था। अब वह प्रधानमंत्री के दामाद भी थे। और फिर 1952 में रायबरेली से सांसद भी हो गए।

जब राजस्थान से राज्यसभा के लिए नाम तय हुए तो फिरोज ने बरकत का नाम सरका दिया। बरकत सांसद हो गए। मगर कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।
राज्यसभा के 6 साल, मगर 52 के पांच साल बाद ही राजस्थान में विधानसभा चुनाव थे। और बरकत का मन भी दिल्ली नहीं घरेलू राज्य में था। वो लौटे, लड़े, जीते, विधायक बने और फिर सुखाड़िया सरकार में मंत्री भी।
1971 के चुनाव में राजस्थान में भी आलाकमान के इशारे में सत्ता में बदलाव की तैयारी शुरू हो गई। विधायकों ने सुखाड़िया हटाओ की मांग तेज कर दी। तभी इंदिरा ने प्यारे मियां उर्फ़ बरकतुल्लाह खान को फोन किया। इस तरह से इंदिरा गाँधी की कृपा से उनका मुंहबोला देवर राजस्थान का पहला मुख्यमंत्री बना।
हिन्दू लड़की उषा मेहता उर्फ़ उषी से लव मैरिज की थी बरकतुल्लाह खान ने
बरकतुल्ला खान ने अपने कॉलेज में पढने वाली हिन्दू लड़की से लव मैरीज की थी, उषा उर्फ़ उषी उनकी जूनियर थी और उम्र में उनसे 15 साल छोटी थी.
कानपुर के ब्राह्मण परिवार में 24 दिसम्बर 1935 को जन्मीं ऊषी की शादी बरकतुल्ला खान से 1962 में मुम्बई के ताज होटल में हुई थी।

ऊषी की ननद इशरतजहां जुग्गन ने जोधपुर स्थित बम्बा छोटी हवेली में पत्रिका को बताया कि भाभी (ऊषी) अनुशासनप्रिय थीं। उनके पिता कानपुर से लंदन चले गए तो उन्होंने वहां कानून की पढ़ाई की और दिल्ली आ कर वकालत करने लगीं।
दिल्ली में ही उनकी बरकत साहब से मुलाकात हुई थी। बरकतुल्लाह खां का 1973 में निधन हुआ तो 1976 में वे राज्यसभा सदस्य भी रहीं।

विडियो में सुने बरकतुल्लाह खान की पूरी दास्तान
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