नई दिल्ली, 13 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली जिमखाना क्लब में 1.2 करोड़ रुपये के बिल लंबित हैं। इसकी स्थापना भारत की आजादी से भी पहले हुई थी। यह लुटियंस दिल्ली के केंद्र में स्थित 107 साल पुराना जिमखाना क्लब है।
बकाए को लेकर 11 फरवरी को सदस्यों को भेजे गए नोटिस में कहा गया है, बकाया बिलों की कुल राशि 1.2 करोड़ है, जिसमें 21 जनवरी के लिए मासिक बिल/डिफाल्टर बकाया शामिल हैं और इसके साथ ही उन सदस्यों की ओर से बकाया भी शामिल हैं, जिनका नाम समाप्ति (टर्मिनेशन) के लिए अनुशंसित किया गया है।
चार फरवरी को एक बैठक में क्लब की जनरल कमेटी (जीसी) ने सदस्य अनुशासन उप समिति (एमडीएससी) द्वारा की गई सिफारिशों को मंजूरी दे दी। नोटिस में कहा गया है, सदस्य के लिए अधिकतम क्रेडिट सीमा 30,000 रुपये तय की जाएगी। 30,000 रुपये की सीमा पार हो जाने के बाद, सदस्यता कार्ड स्वचालित रूप से अवरुद्ध हो जाएगा।
यह कदम इसलिए उठाया गया है कि ताकि सदस्य 30 हजार रुपये की सीमा को पार न कर सकें।
नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस से बात करते हुए, क्लब के एक स्थायी सदस्य ने इस क्रेडिट सिस्टम की आलोचना की और कहा कि 1.2 करोड़ रुपये का बकाया एक बड़ी राशि है।
उन्होंने कहा, आखिर क्लब में कोई भी क्रेडिट सिस्टम होना ही क्यों चाहिए। जैसे आप किसी रेस्तरां में जाते हैं और अग्रिम भुगतान करते हैं, वही सिस्टम क्लब में होना चाहिए। लोगों को यह नोटिस ईमेल के माध्यम से लंबित बिलों के साथ मिला है।
नोटिस में कहा गया है कि सदस्यों से अनुरोध है कि वे कृपया निगरानी रखें और सुनिश्चित करें कि उनका खर्च कभी भी 30,000 रुपये से अधिक न हो। नोटिस में अनुच्छेद 27 का हवाला दिया गया है और कहा गया है कि अगर एक सदस्य, जिसने क्लब बिल को पूरी तरह से भुगतान नहीं किया है, उसे क्लब की बैठकों में शामिल होने या किसी भी मामले पर मतदान का अधिकार नहीं होगा। इसके साथ ही उक्त सदस्य को क्लब की सुविधाओं से वंचित कर दिया जाएगा और उसे जनरल कमेटी से भी निकाल दिया जाएगा।
नोटिस में कहा गया है कि सदस्यों को सलाह दी जाती है कि वे बिल प्राप्त होने के 14 दिनों के भीतर अपना बकाया भुगतान करें।
क्लब पहले ही केंद्र के साथ कानूनी लड़ाई लड़ रहा है, जिसने पिछले साल अप्रैल में नेशनल जिम लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में याचिका दायर की थी, जिसमें सरकार के 15 नामितों को प्रशासक के रूप में नियुक्त करने के लिए दिल्ली जिमखाना क्लब के प्रबंधन में बदलाव की मांग की गई थी।
–आईएएनएस
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