Veer Tejaji Maharaj Ki Katha In HIndi:प्रचलित वीर तेजाजी की कथा (Veer Tejaji Maharaj Ki Katha) के अनुसार प्राचीन समय में वीर तेजाजी का जन्म (Veer Tejaji Date Of Birth) विक्रम संवत 1130 माघ सुदी चौदस (गुरुवार 29 जनवरी 1074, अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार) के दिन खरनाल में हुआ था। उनके पिता राजस्थान में नागौर जिले के खरनाल (Kharnal Nagaur) के प्रमुख कुंवर ताहड़ जी थे। उनकी माता का नाम राम कंवरी था।
वीर तेजाजी का जन्म धौलिया गौत्र के जाट परिवार (Jaat Familiy) में हुआ। धैालिया शासकों की वंशावली इस प्रकार है:- 1.महारावल 2.भौमसेन 3.पीलपंजर 4.सारंगदेव 5.शक्तिपाल 6.रायपाल 7.धवलपाल 8.नयनपाल 9.घर्षणपाल 10.तक्कपाल 11.मूलसेन 12.रतनसेन 13.शुण्डल 14.कुण्डल 15.पिप्पल 16.उदयराज 17.नरपाल 18.कामराज 19.बोहितराव 20.ताहड़देव 21.तेजाजी
तेजाजी के बुजुर्ग उदयराज ने खरनाल पर कब्जा कर अपनी राजधानी बनाया। खरनाल परगने में 24 गांव थे।
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Veer Tejaji Maharaj Ki Katha:बचपन में राजकुमारी पेमल से हुवा था वीर तेजाजी का विवाह
Veer Tejaji Maharaj Ki Katha: वीर तेजाजी जाट का विवाह पेमल से हुआ था, जो झाँझर गोत्र के राय मल जाट की पुत्री थी, जो गाँव पनेर के प्रमुख थे। पेमल का जन्म बुद्ध पूर्णिमा विक्रम स॰ 1131 (1074 ई॰) को हुआ था। पेमल के साथ तेजाजी का विवाह पुष्कर में 1074 ई॰ में हुआ था जब तेजा 9 महीने के थे और पेमल 6 महीने की थी।
विवाह पुष्कर पूर्णिमा के दिन पुष्कर घाट पर हुआ। पेमल के मामा का नाम खाजू-काला था, जो तेजाजी के परिवार से दुश्मनी रखता था और इस रिश्ते के पक्ष में नहीं था। खाजू काला और ताहड़ देव के बीच विवाद पैदा हो गया। खाजा काला इतना क्रूर हो गया कि उसने उसे मारने के लिए ताहड़ देव पर हमला कर दिया।
अपनी और अपने परिवार की रक्षा के लिए, ताहड़ देव को तलवार से खाजू काला को मारना पड़ा। इस कारण से पेमल की माँ ने उसे ससुराल नहीं भेजा था।
Veer Tejaji Maharaj Ki Katha:भाभी के ताने से वीर तेजाजी महाराज को आया गुस्सा चले ससुराल
Veer Tejaji Maharaj Ki Katha:एक बार तेजाजी को उनकी भाभी ने तानों के रूप में यह बात उनसे कह दी तब तानो से त्रस्त होकर अपनी पत्नी पेमल को लेने के लिए घोड़ी ‘लीलण‘ पर सवार होकर अपने ससुराल पनेर गए। वहाँ किसी अज्ञानता के कारण ससुराल पक्ष से उनकी अवज्ञा हो गई।
नाराज तेजाजी वहाँ से वापस लौटने लगे तब पेमल से उनकी प्रथम भेंट उसकी सहेली लाछा गूजरी के यहाँ हुई। उसी रात लाछा गूजरी की गाएं मेर के मीणा चुरा ले गए।

उस दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी। तेजा को पता चलता है कि मेणा नामक डाकू अपने साथियों के साथ सारी गायों को लूटकर ले गया है।
लाछा की प्रार्थना पर वचनबद्ध हो कर तेजाजी अपने साथी के साथ जंगल में मेणा डाकू से गायों को छुड़ाने के लिए जाते हैं।
Veer Tejaji Maharaj Ki Katha:गायों को डाकुओ से छुड़ाने जाते तेजा ने दिया सांप को वचन
Veer Tejaji Maharaj Teja Dashmi Ki Katha: रास्ते में तेजाजी को एक साँप आग में जलता हुआ मिला तो उन्होंने उस साँप को बचा लिया किन्तु वह साँप जोड़े के बिछुड़ जाने के कारण अत्यधिक क्रोधित हुआ और उन्हें डसने लगा तब उन्होंने साँप को लौटते समय डस लेने का वचन दिया और ओर आगे बढ़े।
तेजाजी उस सांप को वचन देते हैं गायों को छुड़ाने के बाद मैं वापस यहीं आऊंगा, तब मुझे डंस लेना। ये सुनकर सांप ने रास्ता छोड़ दिया।
तेजाजी डाकू से गायों को आजाद करवा लेते हैं। डाकूओं से हुए युद्ध की वजह से वे लहुलुहान हो जाते हैं और ऐसी ही अवस्था में सांप के पास जाते हैं।
तेजा को घायल अवस्था में देखकर नाग कहता है कि तुम्हारा पूरा शरीर खून से अपवित्र हो गया है। मैं डंक कहां मारुं? तब तेजाजी उसे अपनी जीभ पर काटने के लिए कहते हैं।
तेजाजी की वचनबद्धता को देखकर नागदेव उन्हें आशीर्वाद देते हैं कि जो व्यक्ति सर्पदंश से पीड़ित है, वह तुम्हारे नाम का धागा बांधेगा, उस पर जहर का असर नहीं होगा। उसके बाद नाग तेजाजी की जीभ पर डंक मार देता है।
किशनगढ़ के पास सुरसरा में सर्पदंश से वीर तेजाजी जी मृत्यु भाद्रपद शुक्ल 10 संवत 1160 (28 अगस्त 1103) को हो गई तथा पेमल भी उनके साथ सती हो गई। उस साँप ने उनकी वचनबद्धता से प्रसन्न हो कर उन्हें वरदान दिया।
वीर तेजाजी की तेजादशमी कब मनाई जाती है?
राजस्थान के लोकदेवता वीर तेजाजी महाराज (Veer Tejaji Maharaj) के निर्वाण दिवस भाद्रपद शुक्ल दशमी को प्रतिवर्ष तेजादशमी (Teja Dashmi) के रूप में मनाया जाता है। वीर तेजाजी का जन्म जाट जाति में हुवा पर सभी जातिया उनका सम्मान करती है।
वीर तेजाजी महाराज के साथ किसकी पूजा होती है?

नागदेवता के वरदान के कारण वीर तेजाजी महाराज भी साँपों के देवता ( God Of Snakes) के रूप में पूज्य हुए। गाँव-गाँव में तेजाजी के देवरे या थान में उनकी तलवारधारी अश्वारोही मूर्ति के साथ नाग देवता की मूर्ति भी होती है। वीर तेजाजी के साथ रानी पेमल, घोड़ी “लीलण” और नाग देवता की पूजा होती है।
इसके बाद से हर साल भाद्रपद शुक्ल दशमी (Teja Dashmi) को वीर तेजाजी के मंदिरों में श्रृद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। जिन लोगों ने सर्पदंश से बचने के लिए वीर तेजाजी महाराज के नाम का धागा बांधा होता है, वे मंदिर में पहुंचकर धागा खोलते है।
वीर तेजाजी महाराज का जन्म और मृत्यु किस स्थान पर हुवे थे?
वीर तेजाजी का जन्म विक्रम संवत 1130 माघ सुदी चौदस (गुरुवार 29 जनवरी 1074, अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार) के दिन खरनाल में हुआ था। किशनगढ़ के पास सुरसरा में सर्पदंश से वीर तेजाजी जी मृत्यु भाद्रपद शुक्ल 10 संवत 1160 (28 अगस्त 1103) को हो गई तथा पेमल भी उनके साथ सती हो गई।
वीर तेजाजी महाराज का मुख्य मंदिर कहां पर स्थित है?
वीर तेजाजी महाराज का मुख्य मंदिर खरनाल में हैं। वीर तेजाजी के भारत में अनेक मंदिर हैं। तेजाजी के मंदिर राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, गुजरात तथा हरयाणा में हैं। प्रसिद्ध इतिहासकार श्री पी.एन. ओक का दावा है कि ताजमहल शिव मंदिर है जिसका असली नाम तेजो महालय है। आगरा मुख्यतः जाटों की नगरी है। जाट लोग भगवान शिव को तेजाजी के नाम से जानते हैं।