Surya Grahan 2020: यह कंकण सूर्यग्रहण (Solar Eclipse June 2020) इस वर्ष के सबसे बड़े दिन अर्थात 21 जून को लगने जा रहा हैं जो लगभग 65 वर्ष इसी दिन घटित होगा। इससे पूर्व 1955 में भी 21 जून को ही सूर्य ग्रहण हुआ था।
21 जून को उत्तरी गौलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन (the longest day of the year) होता हैं। पृथ्वी के 66.5 अंश झुके हुए होने तथा इसी स्थिति में सूर्य की परिक्रमा करने के कारण ही पृथ्वी पर दिन रात की अवधि में असमानता पाई जाती हैं।
पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया की जब सूर्य विषुवत रेखा से उत्तर में लंबवत चमकता हैं, तो उस समय उत्तरी गौलार्द्ध में दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं तथा दक्षिणी गौलार्द्ध में सीधे चमकने से पर इसके विपरीत रातें बड़ी ओर दिन छोटे होते हैं। 21 जून 29020 को जब सूर्य, कर्क रेखा (23.5 अंश उत्तरी अक्षांश) पर लम्बवत चमकता हैं उस समय उत्तरी गौलार्द्ध पर दिन सबसे बड़ा तथा रात सबसे छोटी होती हैं।
21 जून के कंकण सूर्यग्रहण का सूतक, स्पर्श, मध्य और मोक्ष का समय
भारत के प्रमुख शहरों में 21 जून 2020 रविवार को होने वाले सूर्यग्रहण की समय सारिणी (Solar Eclipse June 2020 Time) आप यंहा दिए गए चित्र में देख सकते है.
पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया की इस सूर्य ग्रहण के कारण कर्क, वृश्चिक एवम मीन राशि के जातक पर नकारात्मक प्रभाव होगा।अतः इस दौरान शास्त्रानुसार साधना, ध्यान ओर आराधना पर बल देना चाहिए। इस राशि वालों को अपने सामर्थ्य अनुसार दान अवश्य करना चाहिए। यह ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में होगा
पंडित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार इस सूर्य ग्रहण (Kankan Surya Grahan 2020) का सूतक 20 जून 2020 की रात्रि को लगभग 12 घण्टे पूर्व 10 बजे से प्रारम्भ होगा।
इस कंकण सूर्यग्रहण का कुल पर्व काल 2 घण्टे 33 मिनट रहेगा।
21 जून 2020 को उज्जैन में सूर्योदय सुबह 5 बजकर 24 मिनट पर तथा सूर्यास्त शाम को 7 बजकर 22 मिनट पर होगा। इस दिन, दिन की अवधि 13 घण्टे 18 मिनट की होगी वहीं रात 10 घण्टे मिनट की रहेगी।
जानिये 21 जून के कंकण सूर्यग्रहण की खास बातें
उल्लेखनीय हैं कि वर्तमान में भगवान शिव का प्रमादी नामक सम्वत्सर चल रहा हैं जिसके कारण संहार कर्ता शिव अपना विशेष कार्य करेंगे। प्राकृतिक आपदा बाढ़, भूकम्प आदि के साथ साथ राजनीतिक क्षेत्र में भी उथल पुथल संभवित हैं। ऐसी घटनाएं ग्रहण की तिथि के निकट अधिक होती रही हैं। मानव, जीव जन्तु, नदी, सागर एवम वनस्पति सभी पर ग्रहण का प्रभाव होता हैं। इस दिन 6 ग्रह भी वक्री रहेंगें।
पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार इसी दिन सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन होने जा रहा हैं अर्थात सूर्यदेव, शाम को कर्क राशि मे प्रवेश करते ही ग्रहण योग बनाएगें।
शास्त्रानुसार जब सूर्यदेव, आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो पृथ्वी रजस्वला होती हैं। इसीलिए गोवाहटी स्थित माँ कामाख्या शक्तिपीठ में 3 दिवसीय आम्बुवाची उत्सव आरम्भ होता है जो इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण स्थगित हो गया है, केवल स्थानीय साधक ही इस वर्ष इसमें भाग ले पाएंगे।
सूर्यग्रहण में नकारात्मक उर्जा से कैसे बचें ?
पंडित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि इस ग्रहण अवधि में अन्न भक्षण, फल, सब्जी या अन्य वस्तु को काटना अथवा उपयोग/सेवन करना निषिद्ध हैं। तरल वस्तु, अथवा रसदार सामग्री जैसे जल आदि में शुद्धता हेतु ग्रहण के सूतक काल मे कुशा का उपयोग कर उस सामग्री को नकारात्मक ऊर्जा से बचाया जा सकता हैं।
सूर्यग्रहण का विश्व और भारत पर प्रभाव
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार इस ग्रहण के प्रभाव स्वरूप मनुष्य का पाचन तंत्र प्रभावित होगा।कोरोना महामारी के इस समय मे रोगों के बढ़ने की सम्भावना बनती हैं स्थिति विपरीत हो सकती हैं। ऊर्जा और तेजत्व प्रदाता सूर्य के स्वग्रही होने से सूर्य की ऊर्जा का प्रभाव कम होगा। यह ग्रहण नकारात्मक प्रभाव में वृद्धि करेगा।
मानसिक उद्वेग/अस्थिरता, अनाज के भाव मे वृद्धि सैन्य गतिविधियों में वृद्धि, सामाजिक टकराव की सम्भवना बनती हैं। वातावरण के तापमान में अचानक परिवर्तन सम्भव हैं। ग्रहण के बाद अगले कुछ समय में विषाक्त जीवाणुओं के प्रभावी होने से रोग और रोगियों की संख्या में आकस्मिक वृद्धि की सम्भावना बनती हैं। विश्व मे भय का वातावरण निर्मित होगा।
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