Satta King Kundli: सट्टा किंग की कुंडली कैसी होती है? सट्टा किंग (Satta King) बनने के लिए आपकी कुंडली (Kundali) में होने चाहिए ऐसे ज्योतिषीय योग तभी आप जीत पाएंगे।
इस लेख में बताया गया है कि किस तरह के लोग सट्टा खेलने की और अग्रसर होते है और उनमें किन किन ग्रहों (Planets) का रोल रहता है। भारत (India) में सट्टा खेलने वाले लोगो के लिए कुछ खास टिप्स (Tips For Satta King ) लाये है।
जन्म कुंडली में आकस्मिक धन का योग ना होने और धन भाव में क्रूर ग्रहों के कारण जातक सट्टा मटका बाजार (Satta Matka Marekt) में भारी नुक्सान उठाता है और बर्बाद होता है।
हस्तरेखा के अनुसार- जिनके दाहिने हाथ पर चंद्र के उभरे हुए भाग पर तारे का चिह्न है और जिनकी अंतःकरण रेखा शनि के ग्रह पर ठहरती है, ऐसे व्यक्तियों को आकस्मिक लाभ मिलता है।
जिनके दाहिने हाथ की बुध से निकलने वाली रेखा चंद्र के पर्वत से जा मिलती है और जिनकी जीवन रेखा भी चंद्र पर्वत पर जाकर रुक जाती है, ऐसे व्यक्तियों को अचानक भारी लाभ होता है।
ज्योतिष (Astrolgoy) में सट्टे (Satta) को प्रमुख रूप से पंचम भाव (5th House) से देखा जाता है। अगर पंचम भाव (5th House) बहुत अच्छा है तो जातक कभी सट्टा नहीं खेलेगा, लेकिन अगर पंचम भाव खराब है तो सट्टे की प्रवृत्ति (Betting trend) पाई जाती है।
पंचम भाव (5th House) और राहू (Rahu) की करामात बनाती है Satta King
धन स्थान में 5 या इससे अधिक ग्रह हों तो बड़ा धन-लाभ होता है। इसके विपरीत व्यय स्थान में बारहवें केतु हो, जन्मकुंडली में कालसर्प योग हो।
चंद्र, बुध और शनि नीच स्थान में हों तो रेस, सट्टा, लॉटरी से कोई लाभ नहीं होता। व्यक्ति को तभी आकस्मिक लाभ होगा जब कुंडली में पंचम भाव, द्वितीय भाव तथा एकादश भाव व उनके स्वामी ग्रह और इन भावों में स्थिर ग्रह बलवान हों।
अगर पंचम भाव (5th House) में कमजोर चंद्रमा (Moon) है तो जातक के सट्टा (Satta) खेलने के अवसर बढ़ जाते हैं।
जरूरी नहीं कि क्रिकेट का ही सट्टा (Cricket Satta) करे, बारिश (Rain), शेयर बाजार (Share Market), कमोडिटी बाजार (Commodity Market) या हाजिर की तेजी मंदी (Teji Mandi) के सट्टे (Satta) भी कर सकता है। यहां सट्टा प्रवृत्ति है, न कि कोई विशेष खेल।
यदि लग्नेश, नवमेश, दशमेश, एकादशेश अथवा चतुर्थेश व पंचमेश की दशा-अंतरदशा चल रही हो, संबंधित स्वामी ग्रहों की स्थिति मजबूत हो, ग्रह उच्च के हों, गोचर भी अनुकूल हो, शनि की साढ़ेसाती या ढैया की स्थिति न हो, क्रूर व पापी ग्रहों का संयोग न उपस्थित हो या फिर चंद्रमा बली हो तो ऐसी कुण्डली वाले लोग सट्टा, लाटरी, शेयर मार्केट, जुए आदि में बहुत जल्दी अथाह धन कमाने में सफल रहते हैं।
ज्योतिषीय योगों में भी पंचम भाव (5th House) जो कि तीसरे भाव का तीसरा भाव (3rd House) होता है। तीसरा भाव साहस, बांड और खिलाड़ी प्रवृत्ति का होता है और इसका तीसरा भाव उस बांड के मैटीरियलाइज होने का है।
ज्योतिष से लाटरी सट्टा और जुआ का भाव पंचम है,इस भाव को बुद्धि का भाव माना जाता है साथ ही इससे नगद में धन देने वाला भाव छठा है और और हमेशा के लिये लाभ देने वाला भाव तीसरा है। अगर इन भावों पर राहु अपना असर दे रहा है,तो लाभ की मात्राअनिश्चित मानी जाती है,लाभ भारी मात्रा में भी हो सकता है,और हानि भी भारी मात्रा में हो सकती है।
लेकिन कुंडली में राहु अगर शुक्र या गुरु से अपनी युति जीवन के कारक भावों में बनाकर बैठा है तो लाभ की निश्चितता को माना जा सकता है। इस प्रकार की युति के कारणों मे भी अगर गुरु राहु के साथ मिलकर शुक्र से भी युति बनाकर बैठा है,तो जातक का दिमाग चमक दमक में अधिक चला जाता है और जो भी वह कमाता है उसे छिपाने के लिये उन रास्तों को अपना लेता है जहां पर सरकारी या नीच हरकत रखने वाले लोग उसके धन को किसी न किसी कारण हडप कर लेते है।
पंचम स्थान मंत्र व जिज्ञासा का है यदि इस स्थान का स्वामी धन स्थान पर लाभेष के साथ स्थित हो तो जातक को सट्टे द्वारा धन लाभ प्राप्त होता है।
केतु का प्रभाव भी लाटरी सट्टा और जुआ पर अधिक देखा जाता है,केतु अगर कमन्यूकेशन के कारक भावों में है या किसी प्रकार से तीसरे सातवें या ग्यारहवें भाव से युति बनाता है तो व्यक्ति किसी व्यक्ति की सहायता से टेलीफ़ोन से इन्टरनेट से या सूचना के माध्यम से यह कार्य कर सकता है,अगर केतु सूर्य के साथ युति लेता है तो सरकारी लाटरी या स्कीमो से धन को कमाने वाला होता है,केतु बुध से युति लेता है तो व्यक्ति का रुझान खेल कूद वाले सट्टों से माना जाता है राहु का सम्बन्ध दूसरे और पांचवें स्थान पर होने पर जातक को सट्टा लाटरी और शेयर बाजार से धन कमाने का बहुत शौक होता है,राहु के साथ बुध हो तो वह सट्टा लाटरी कमेटी जुआ शेयर आदि की तरफ़ बहुत ही लगाव रखता है,अधिकतर मामलों में देखा गया है कि इस प्रकार का जातक निफ़्टी और आई.टी. वाले शेयर की तरफ़ अपना झुकाव रखता है।
जन्म कुंडली के पंचम स्थान को ज्योतिर्विदों ने सट्टे का भाव बताया है, यह भाव, भाग्य का भाग्य है । पंचम भाव का सम्बन्ध पूर्व पुण्य से है । जिसने पिछले जन्म में बहुत दान पुण्य किया हो उसी का पंचम भाव बलवान होता है और वही सट्टे आदि से कमा सकता है ।
राहु को सट्टे जुए आदि का कारक ग्रह बताया गया है । जन्म कुंडली में राहु लाभ देने वाली स्थिति में हो तो यह अपनी दशा में जुए सट्टे आदि से लाभ कराता है, लेकिन विपरीत स्थिति होने पर इन्हीं से हानि होती है ।
द्वितीय स्थान धन का है ही, और एकादश स्थान लाभ का है, तो ये चारों भाव (2, 5, 8 और 11) शुभ स्थिति में हो अर्थात इन पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो या शुभ ग्रह यहाँ स्थित हों, पाप ग्रहों, क्रूर ग्रहों का प्रभाव यहाँ न हो । इन स्थानों के स्वामी भी शुभ स्थिति में हो और इनका आपस में शुभ सम्बन्ध हो तो व्यक्ति सट्टे, जुए, शेयर बाजार, commodity market, वायदा बाजार, Casino आदि से कमा सकता है ।
लेकिन बहुत ध्यान देने की बात यह है कि जिस समय कोई व्यक्ति सट्टा आदि कर रहा है उस समय अच्छी ग्रह दशा और गोचर में ग्रहों की स्थिति, उसके लिए अच्छी होना बहुत जरूरी है । नहीं तो कुंडली में योग होते हुए भी लाभ नहीं होगा ।
भावात भाव सिद्धांत से पंचम भाव सट्टे का भाव (5th House For Satta) बनता है। इसी पंचम भाव में केतु, राहु (Rahu), क्षीण चंद्रमा (Moon) अथवा मंगल ( Mangal) शनि (Shani) की युति की स्थिति में सटोरिए बनते हैं।
यदि जातक की जन्म कुण्डली में अष्टम भाव बेहद मजबूत हो तो भी सट्टा, लाटरी, शेयर आदि में अच्छा लाभ कमाने का योग बनता है।
लक्ष्मी के योग (Laxmi Yog) अलग होते हैं। अगर पंचम भाव की प्रतिकूलता (Fifth house adversity) को एकादश भाव (11th House) की अनुकूलता मिले तो ही जातक सट्टे से लाभ (Profit by betting) कमा पाता है।
यह बहुत कम सटोरियों की कुण्डली में होता है। सौ में से कोई एकाध ही ऐसा सटोरिया होता है।
सिद्धांत के तौर पर नहीं बल्कि व्यवहारिक सिद्धांत के तौर पर किसी जातक की कुण्डली में लग्न बलशाली हो, तृतीय भाव का अधिपति अनुकूल हो, मंगल ( Mangal) प्रबल हो, पंचम भाव खराब हो, एकादश भाव अथवा एकादश भाव का अधिपति अच्छा हो और कुण्डली में शक्तिशाली लक्ष्मी योग बन रहे हों, तो ही कोई जातक सफल सटोरिया बन सकता है।
सट्टा, जुआ, लॉटरी, शेयर मार्केट ये सभी ज्योतिष में राहू के अधीन माने जाते हैं। सट्टा, लॉटरी, शेयर मार्केट, कमोडिटी बाजार ये सभी राहु के ही कर्मक्षेत्र हैं।
शेयर बाजार में डेली ट्रेडिंग (Daily Treding) करने वालों की कुण्डली में मंगल ( Mangal) और गुरू अनुकूल होने चाहिए और कमोडिटी बाजार (Commodity Market) में राहु (Rahu) राज करता है, बारिश के सट्टे में चंद्रमा (Moon) की अनुकूलता चाहिए और क्रिकेट के सट्टे (Cricket Satta) में चंद्रमा (Moon) और मंगल ( Mangal) की।
ज्योतिष के अनुसार जिन लोगों को राहु अनुकूल चल रहा होता है या जिन पर राहु की महादशा होती है, उन्हीं को इन धंधों से लाभ होता है। राहु के साथ साथ ही कुण्डली में मौजूद धनेश-एकादशेश, लग्नेश, चतुर्थेश, पंचमेश, भाग्येश यानि नवमेश की स्थिति भी मजबूत हो, तो ही व्यक्ति इन धंधों से जिंदगी भर कमा सकता है, फिर चाहे उस आदमी को सट्टे, लॉटरी या शेयर मार्केट की ए बी सी डी भी मालूम न हो।
अगर किसी जातक की कुंडली में राहु अनुकूल हो, राहु की दशा या महादशा चल रही हो और वह उस व्यक्ति के पक्ष में ही हो, और इसके अलावा धन दिलवाने वाले ग्रह, लग्नेश आदि उसके भाग्येश भाव में हों तो उस व्यक्ति जितने पैसे के सट्टा लगाएंगा उससे कई गुना अधिक धन जीत लेगा।
अगर इन ग्रहों की अनुकूलता न मिल रही हो तो चाहे कितनी भी रुचि क्यों न हो, सट्टे से दूरी रखने में ही लाभ है। किसी भी सटोरिए को राहु (Rahu) की महादशा, अंतरदशा, प्रत्यंतर अथवा सूक्ष्म के दौरान सट्टा (Satta Batta) नहीं खेलना चाहिए।
- जातक की कुंडली में अगर राज योग हो तभी लाटरी, सट्टा, जुआ और शेयर बाजार से लाभ होता हे। राज योग में धन भाव (दूसरा भाव) या लाभ स्थान एकादश भाव और दसवे घर क स्वामी उच्च राशि के बैठे हों और उन पर सौम्ये ग्रह की दृस्टि हो तो लाटरी निकलने की प्रबल संभावना होती है।
- लाटरी खरीदने के वक़्त बुध ग्रह अपने भाव मित्र राशि में उच्च का बैठा और गोचर में वेद ना हो तो लाटरी निकलती है अगर बुध जन्म कुंडली में उच्च का न हो तो लाटरी, सट्टा, जुआ और शेयर बाजार से हानि होती है।
- महादशा, अंतर और प्रत्यंतर दशा योगकारक ग्रह या उच्च के ग्रह की हो तो लाटरी निकलने की सभावना होगी।
- योगनी दशा में मंगला, सिद्धा चल रही हो तो अचानक धन लाभ होता है।
- लालकिताब की वर्ष कुंडली में अगर बुध उच्च का 1, 2, 4, 5, 6, 7 खाना में बैठा होऔर उस पर दुश्मन ग्रह की दृस्टि ना हो और आठवीं दृस्टि की टक्कर ना हो तो लाटरी निकलने की संभावना प्रभल होती है। जुआ, लाटरी, सट्टा, बुध से ही देखा जाता है।
- जिस जातक के लग्न में बुध उच्चराशिगत हो, मकर में मंगल, धनु राशि में गुरु, चन्द्रमा,और शुक्र बैठे हों तो राजयोग होता है ऐसे योग में उत्पन बालक को अचानक धन लाभ होता है।
- जातक के जन्म कुंडली में चन्द्रमा सूर्य के नवमांश में हो तो कभी लाटरी, सट्टा, जुआ से लाभ ना होगा।
राहु मजबूत करने का उपाय
- ऊं रां राहवे नम: मंत्र का प्रतिदिन एक माला जाप करें।
- पंचधातु या लोहे की अंगुठी में नौ रत्ती का गोमेद जड़वा कर शनिवार को राहु के बीज मंत्र द्वारा अभिमंत्रित करके दांये हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करें।
- प्रतिदिन दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
- पक्षियों को रोज बाजरा खिलाएं। इससे राहु ग्रह को मजबूती मिलती है।
- प्रतिदिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करें।
- तामसिक आहार और मदिरा का सेवन बिलकुल ना करें।
- अगर आपने तामसिक आहार और मदिरा का सेवन किया तो ऐसा करने से राहु आपके और भी अधिक प्रतिकूल हो जाएगा।