Katrina Kaif Horoscope, Kundali (Birth Chart) By Pandit Dayanand Shastri:- कैटरीना कैफ की जन्म कुंडली से जानिये उनके जीवन के रहस्य और भाग्योदय, स्वभाव और जिन्दगी की कहानी.
नाम- कैटरीना कैफ़
जन्म तिथि- 16 जुलाई 1984
जन्म स्थान- हांगकांग
जन्म समय- 06:40:00
लग्न- कर्क, चन्द्र राशि- कुम्भ, नक्षत्र- धनिष्ठा, महादशा- ब्रहस्पति, अन्तरदशा- सूर्य, सुक्ष्मदशा- बुध।
ज्योर्विद पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की कैटरीना कैफ (Bollywood Actress Katrina Kaif) का जन्म 16 जुलाई 1984 को प्रात: 6:40 पर हुआ। कैटरीना कैफ का जन्म 16 जुलाई 1984 को कुंभ चन्द्र लग्न में, हांगकांग में हुआ। इनके पिता मौहम्मद कैफ़ ब्रितानी करोबारी हैं जिनके पूर्वज भारत के कश्मीर से माने जाते हैं और इनकी माँ लन्दन में वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। कैटरीना 14 वर्ष की उम्र से ही माडलिंग कर रही हैं। लन्दन में कई स्वतंत्र मॉडल एजेंसियों के लिये काम करते हुए, इनकी मुलाक़ात भारतीय फ़िल्म निर्माता ‘कैजाद गुस्ताद’ से हुई और इनको पहली भारतीय फ़िल्म ‘बूम’ में काम करने का मौका प्राप्त हुआ।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार शनि उच्च का होने के कारण एवं राहु का मित्र राशि मे होने के कारण उनका आकर्षण फिल्मों एवं एक्टिंग की ओर हुआ। इसी ने इनको आरंभ में इस क्षेत्र में प्रवेश भी कराया। राहु की महादशा में इन्होने सन् 2004 तक बहुत संघर्ष कराया। शुरुआत में असफलताओं का स्वाद चखने के बाद, साल 2007 और 2008 में इनकी एक के बाद एक कई फिल्में हिट हुई और इन फिल्मों के बाद इनको बॉलीवुड की सफल अभिनेत्री घोषित कर दिया गया। फ़िल्म ‘नमस्ते लंदन’, ‘अपने’, ‘पार्टनर’, ‘वेलकम’, ‘सिंह इज किंग’ और ‘रेस’, इसी समय की फिल्में हैं। इसी क्रम में आई फ़िल्म ‘न्यूयॉर्क’ के लिए इनको सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का नेशनल अवार्ड भी मिला था।
कैटरीना की कुंडली में 2004 से गुरु की महादशा चली। गुरु 7वें और 10वें घर का स्वामी होकर 7वें घर में स्थित है। गुरु की दृष्टि ग्यारहवे, पहले और तीसरे भाव पर है। सूर्य, शनि की पूर्ण दृष्टि गुरु पर है। शारीरिक रूप से सुंदर और और आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक बनाता है। लोग मिलकर प्रसन्न होते हैं। इसी कारण लोग इनसे मिलते ही सम्मोहित हो जाते हैं। वाणी आकर्षक और प्रभावशाली, कुशाग्र बुद्धि और विद्या सम्पन्न व्यक्ति बनाता है।
कैटरीना कैफ का जन्म 16 जुलाई 1984 में होंग कोंग में हुआ। उनका कारक लग्न में बुध एवम शुक्र बिराजमान है। लग्नेश चंद्र 8वे स्थान में शनि के घर का है। जिस के ऊपर किशी भी शुभ ग्रह की दृष्टि न होने से ओर केमद्रुम योग होने के कारण उनको मानसिक टेंसन ज्यादा रहनेकी संभावना है।
भाग्येश गुरु भी 6थे स्थान होने से भाग्य स्थान पर किसी भी शुभ ग्रह की दृष्टि न होने से भविष्य में संघर्ष के दौर का सामना लग रहा है क्योंकि इनको गुरु की माह दशा चल रही है जो कि 8 सितम्बर 2020 तक रहेगी। गुरु के बाद अब जब शनि दशा का दौर शुरू होगा ये उनके लिए बहुत ऊत्तम समय रहेगा। शनि 4थ स्थान में तुला राशि मे उच्चका बिराजमान है। जो लग्न को देख रहा है।
शनि 10 वें स्थान के मालिक मंगल के साथ युति बना के बैठा है। तो ये कह सकते है कि उनके कर्म के फल मिलने का समय आ रहा है। 8 सितम्बर 2020 से जीवन का सुनहरा समय आएगा
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार कैटरीना की कर्क लग्न में कुंडली (के चौथे स्थान पर शुक्र और बुध होने से कैटरीना कैफ़ को धन और निजी जीवन में सफलता प्राप्त हो रही है। भाग्य का स्थान कुंडली में नौवां होता है और कैटरीना के भाग्य स्थान पर ब्रहस्पति अच्छे योग के साथ विराजमान है इसलिए इनको कम प्रयत्न पर ही, कार्य के अच्छे परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। कैट के जन्म के समय कला का कारक शुक्र, चतुर्थ (सुख भाव) से संबंध भी रखता है एवं नवम (भाग्य भाव) से संबंध होकर पंचम (मनोरंजन भाव) के स्वामी बुध के साथ होता हुआ, सप्तम सूर्य के साथ है, सप्तम सूर्य के साथ है, जो षष्ट (शत्रु भाव) में विराजमान है।
जन्म दिन के समय शुक्र गोचर में वृषभ राशि में होकर गुरु-चन्द्र-केतु से युति कर रहा है। इस वजह से यह वर्ष फिल्मों के लिए अति लाभदायक साबित होगा। कैटरीना को शीघ्र ही बडी उन्नति और बड़ा पद प्राप्त करेंगी। गुरु ने ही इनको सफलता दिलाई है जो आगे भी जारी रहेंगी। आयु के 35वें वर्ष पश्चात विवाह का योग बनेगा। उनको सितम्बर 2020 से सभी प्रोजेक्ट में बेहतरीन सफलता प्राप्त होगी। नए काम भी मिलेंगे।
कैटरीना के जन्म के समय आकाश के स्थिति पर कर्क लग्न का कुंभ राशि उद्रित हो रही थी। लग्न शुक्र व बुध की युति ने जहां उनको अनुपम, सौंदर्य प्रदान किया वहीं इन ग्रहो का अकारक राशि में होने से कभी भी इनका प्रेम मंजिल तक नहीं पहुंच पाया। इसी आग में घी का काम किया केतू ग्रह ने। वह स्वयं ही प्रेम के स्थान पंचम भाव में विराजमान है। तथा उनकी पूर्ण जन्म दृष्टि लग्न में बैठे विवाह के कारक ग्रह शुक्र पर पड़ रही है।कर्क लग्न के जातक दिल से सच्चे होते हैं और यही इनकी सबसे बड़ी कमजोरी भी होती है |
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार कर्क लग्न और चन्द्र राशि कुम्भ होने की वजह से कैटरीना अपने दिल की बात जल्दी शेयर कर देती हैं | बाद में जो लोग इनकी बातें सुनते हैं वही इसका मजाक बनाने लगते हैं| देव गुरु वृहस्पति महादशा और सूर्य की अन्तर्दशा के कारण इनके पिछले दिन कुछ ज्यादा ही भारी रहे हैं. अपनों को खोकर कैटरीना अभी तक संभल नहीं पाई होंगी |
कर्क लग्न की विशेषता—
यदि कुंडली के प्रथम भाव में 4 अंक लिखा हो तो व्यक्ति कर्क लग्न का होता है। चंद्रमा का स्वामित्व होने से यह लग्न भावुकता प्रधान होता है। परिश्रमी होते हैं मगर फल कई बार देर से मिलता है। सामाजिक व कला के क्षेत्र में सक्रिय होते हैं।
शुभ ग्रह : लग्नेश चंद्रमा, पंचमेश मंगल और भाग्येश बृहस्पति अति शुभ है। इनकी दशा-महादशाएँ अति लाभकारी होती है। यदि ये गुरु ग्रह कुंडली में अशुभ स्थानों में हो तो उपाय अवश्य करें। मंगल प्रबल कारक ग्रह है।
अशुभ ग्रह : बुध, शुक्र व शनि अशुभता लिए होते हैं। शनि सप्तमेश होकर मारकेश हो जाता है। अत: इसकी दशा-महादशा, साढ़ेसाती बेहद अशुभ हो सकती है। अत: योग्य उपाय करें, धर्म व न्याय के रास्ते पर चलें। व्यसनों से बचे।
तटस्थ : सूर्य इस लग्न के लिए तटस्थ रहता है।
कर्क लग्न में जन्म लेने वाले जातक प्रायः राजनेता, मंत्री, राज्याधिकारी, डाक्टर, व्यवसायी, नाविक, प्राध्यापक अथवा इतिहासकार आदि क्षेत्रों को अपनी जीविकोपार्जन का माध्यम बनाते हैं। इनकी वृश्चिक, मकर एवं मीन लग्न वाले जातकों से अच्छा मित्र भाव बना रहता है। इनका कोई भी कार्य धन के आभाव में नहीं रुकता। सामाजिक कार्यों में भी धन व्यय करने हेतु सदैव अग्रणी एवं तत्पर रहते हैं। ऐसे जातक आत्म विश्वास से परिपूर्ण एवं न्याय प्रिय होते हैं। इनकी मानसिक शक्ति बड़ी तीव्र एवं मजबूत होती है।
कर्क लग्न में जन्मे जातक प्रायः गौर वर्ण के ही होते हैं, किन्तु ग्रह स्थिति के कारण अपवाद स्वरुप श्याम वर्ण के भी हो सकते हैं। इनका कद मंझोला एवं सुगठित शरीर होता है एवं आगे के दांत कुछ बड़े आकार के होते हैं। इनका मुख देखने में सुन्दर होता है। ये जातक विलासी, गतिशील, परिवर्तनशील एवं चंचल प्रवृत्ति वाले होते हैं एवं इनका हृदय उदार, स्वच्छ एवं विशाल होता है। ऐसे जातक अत्यन्त कल्पनाशील एवं भावुक प्रवृत्ति के होते है एवं भावना के वेग में ये इतना बह जाते हैं कि अपना भला बुरा तक इन्हे नहीं सूझता। यात्रा करना एवं प्रकृति प्रेम इनके स्वभाव में होता है एवं ऐसे जातक नवीन तथा जलज वस्तुओं के प्रति विशेष रुचि रखने वाले होते हैं।
कर्क लग्न वालों को पुखराज, मूँगा पहनना लाभ दे सकता है। सोमवार, मंगलवार व गुरुवार लाभदायक है। सफेद, पीला व लाल रंग शुभ है।
इस लग्न के व्यक्तियों को शनि व गुरु के स्वामित्व वाले लग्नों से (मकर, कुंभ, धनु, मीन) या राशि वाले व्यक्तियों से विवाह संबंध करने से बचना चाहिए।
जिन लोगो का जन्म कर्क लग्न में होता है उनमे भावुकता, अपार जिज्ञासा, विलासिता, व्यापार दक्षता इनमें कूट-कूट कर भरी होती है. इस लग्न का जातक भोजन का बहुत शौकीन होता है. ऐसे व्यक्तियों को कहां कौन सी खाने की चीज मशहूर है, इन्हें इसकी जानकारी होती है. इन्हें आभूषणों के संग्रह का भी शौक होता है. कर्क वाला व्यक्ति ऐसी चीजों का संग्रह करता रहता है जो भविष्य में मूल्यवान हो सके. कर्क जातक रत्नों को एकत्र करता है भले यह रत्न वस्तु हो या फिर कोई मनुष्य।
कर्क लग्न के जातक समाज में लोकप्रिय होते हैं।
इस लग्न के जातकों को घूमने में बहुत मजा आता है. बैठे-बैठे अचानक बाहर जाने का कार्यक्रम बना लेना इनके बायं हाथ का काम है. इन्हें अपने ड्राइंग रूम को सुसज्जित रखने की प्रबल इच्छा रहती है. इन जातकों का जनसंपर्क भी बहुत ज्यादा होता है. भगवान राम की कुंडली भी कर्क लग्न की थी. कर्क लग्न वाले के मन में इच्छा होती है कि उसके कई मकान हों. लग्न में मंगल बैठा हो या फिर लग्न को देख रहा हो तो व्यक्ति की काया बड़ी होती है. यह अति बुद्धिमान, जलविहार का शौकीन होता है. कर्क लग्न का पुरुष जातक अपनी पत्नी से प्रेम करने वाला उसकी बात का पालन करने वाला होता है. देखा गया है कि इस लग्न में जन्मे जातक की चाल सामान्य नहीं होती है. ग्रहों की गति के अनुसार कभी-कभी यह बहुत जल्दी-जल्दी हिरन की तरह और कभी-कभी हाथी की तरह मस्त चाल में चलने लगते हैं. कर्क लग्न वाले के दिमाग में हमेशा कुछ ना कुछ चलता ही रहता है।
यदि आपका लग्न कर्क है तब चंद्र कलाओ की भांति आपका मूड बना रहेगा, इसका अर्थ यह हुआ कि आप किसी भी बात पर बहुत जल्दी नाराज हो सकते हैं तो शीघ्र ही किसी अन्य बात पर खुश भी हो सकते हैं.
कर्क लग्न, चूंकि जल तत्व प्रधान होता है इसलिए आप अत्यधिक भावुक व्यक्ति होगें। आप दूसरों के दुख से भी जल्दी ही पिघलने वाले व्यक्ति होगें. जरा – जरा सी बात से आपका मन बेचैन व व्याकुल हो सकता है. अत्यधिक भावुक होने से आपकी भावनाएँ आपके सभी निर्णयों में शामिल हो सकती है. इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले आपको एक बार विचार अवश्य कर लेना चाहिए.
आप लचीले स्वभाव के व्यक्ति होते हैं इसलिए हर तरह की परिस्थिति में स्वयं को ढ़ालने में सक्षम भी होते हैं. आप केकड़े के समान होगें अर्थात जिस प्रकार केकड़ा अपने पंजें में एक बार किसी चीज को जकड़ लेता है तब उसे आसानी से छोड़ता नही हैं. उसी प्रकार आप जिस बात को पकड़ लेगें फिर उसे नहीं छोड़ेगें. एक बार जो मित्र बन गया उसकी मित्रता के लिए जी जान भी दे देगें लेकिन जिससे शत्रुता हो गई फिर उस से अच्छी तरह से शत्रुता ही निभाएंगे.
यदि किसी व्यक्ति से आप भावनात्मक रुप से जुड़ जाते हैं तब बरसों तक आप उसे निभाते भी हैं. आप बड़ी – बड़ी योजनाओ के सपने अधिक देखते हैं लेकिन साथ ही आप परिश्रमी व उद्यमी भी होते हैं. आपको कला से संबंधित क्षेत्रों में रुचि होती है। इसके अलावा आपको प्राकृतिक सौन्दर्य से भी लगाव होता है. आपको जलीय स्थान अच्छे लगते हैं और आप भ्रमणप्रिय व्यक्ति होते हैं।
कर्क लग्न वाले जातक कुशल राजनीतिज्ञ होते है। यह अपनी विपरीत परिस्थिति और समय की नजाकत को देखते हुए नरम हो जाते हैं। कर्क लग्न वाले व्यक्ति का व्यक्तित्व बहुत खुला नहीं होता है। इसके दिमाग में क्या चल रहा है इस बात का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. इन लोगों का उद्देश्य सब को नहीं पता चल पाता है।
शत्रुओं को कभी नहीं भूलते
कर्क लग्न वाले जातक के ध्येय की भनक उनके खास लोगों तक को नहीं हो पाती है। कर्क लहन का जातक अपने शत्रुओं को कभी नहीं भूलता, शत्रुओं को अपने लक्ष्य पर ही रखता है। इन लग्न के जातकों में एक सबसे विशेषता बात होती है कि इन में जानवरों के हावभाव को समझने तक की क्षमता हो सकती है. इन्हें पशु पक्षियों से विशेष प्रेम होता है. इन लग्न के व्यक्ति से हनुमान जी बहुत प्रसन्न रहते हैं और जीवन में यही बहुत इन लग्न वालों को देते हैं. मंगल इन लोगों के लिए परमकारक होता है।
केतू ग्रह का मुख्य काम किसी भी चीज में षड्यंत्र पैदा करना है। केतू की इसी स्थिति के कारण ये प्रेम-प्रसंग में बार-बार असफल हो रही है। इसी स्थिति के मुख्य भाव में बैठी मंगल और शनि की शत्रु युति पति स्थान पर पड़ रही है। मंगल की चतुर्थ द्रष्टि व बुध, शुक्र पर शनि की दशा-दृष्टि ने और भी बढ़ाकर इन्हें मानसिक रूप से कमजोर कर दिया क्योंकि मंगल रक्त का कारक ग्रह है और शनि हमारी नसों को संचालित करती है। इस युक्ति के कारण शरीर में रक्त का संचार कम है।