Hindi Kavita: Shahar Ka Majboor By Laxminarayan Khatri
आया था
गांव से
शहर
ऊंचे ख्वाबों
से भरपूर।
शहर में
कोल्हू के बैल
की तरह
बन गया मजबूर।
सांसो में
समा गया
धुंए का जहर
थक हार
हो गया चूर-चूर।
भीड़ में
न जाने
कहां खो गया?
कीड़े मकोड़ों
की तरह
गुमनाम हो गया।
भवदीय
-लक्ष्मीनारायण खत्री
संस्थापक दी थार हेरीटेज म्यूजियम
पता:683,श्री प्रभु निवास,गांधी कॉलोनी,जैसलमेर
मो.9414150762
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